Friday, November 13, 2009
क्यों नहीं डरें, क्यों साथ दें?
खरी-खरी
छत्तीसगढ़ पुलिस इन दिनों अब जन जागरण अभियान पार्ट थ्री को लेकर जनता के सामने है। गाँव-गाँव में सभाएं लेकर ग्रामीणों को विश्वास दिलाया जा रहा है की पुलिस, सरकार और नेता उनके साथ हैं। इसलिए अब वे नक्सलियों का साथ देना छोड़कर समाज की मुख्य धारा में लौट आयें। आए दिन होने वाली नक्सली वारदातों के बीचपुलिस का यह दावा तब तक खोखला लगेगा जब तक कि वास्तव में वे इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत न कर दें कि नक्सलियों के नम पर बेगुनाहों के साथ किसी प्रकार की बदसलूकी नही की जायेगी। नक्सली येही चाहतें हैं कि पुलिस अंदरूनी गांवों में पहुंचे और उनके नाम पर ग्रामीणों को परेशान करे ताकि वे एक बार फिर विश्वास अर्जित कर सकें और जन युद्ध में लड़ाके शामिल कर सके। वर्तमान में चल रहे जन जागरण से पहले दक्षिण बस्तर ने दो जन जागरण अभियान का देख लिया है। इसीलिए भी खौफ कुछ ज्यादा है। खौफ को इसी से समझा जा सकता है कि बिना पम्फलेट, मुनादी के अपढ़ ग्रामीण कैसे जन गए कि उन्हें अपने लिए पहचानपत्र बनाना जरूरी है। गावों में नक्सलियों के नेटवर्क को अनदेखा नही किया जा सकता। विशेषकर दक्षिण बस्तर के उन इलाकों में जहाँ अब तक न तो सरकार पहुँच पाई है और ना ही सरकार कि योजनायें।
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