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Wednesday, May 22, 2019

कहीं दूसरे अंडर करंट के शिकार तो नहीं होंगे भूपेश बाबू…!!

सुरेश महापात्र.
राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। क्योंकि फैसला नेता नहीं, जनता करती है। जनता ने बीते 70 बरसों में जब चाहा तब सत्ता का तख्ता पलट दिया। छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां पहली बार इतना बड़ा परिवर्तन जनता ने ही किया है। जनता तब परिवर्तन का बिगुल फूंकती है जब उसे लगने लगता है कि सत्ता में बैठे लोग जनहित से खुद को अलग करने लगते हैं।
इसी जनता ने भारी मोदी लहर में हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ ने कांग्रेस को उसकी उम्मीद से ज्यादा 68 सीटें दी हैं। यह जीत काम करने के लिए हैं। ठीक है जिन मुद्दों पर आप पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना करते थे उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता भले ही लोग इसे ‘बदलापुर की राजनीति’ कहें…। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों भूपेश बाबू आपकी ही चर्चा है। आपकी विपक्ष के प्रति तल्खी और बेबाक टिप्पणी लोगों को भा भी रही है। लग रहा है कि कोई तो है, जो उन्हें जवाब दे रहा है जो सत्ता में रहते सुनना बंद कर चुके थे।
यह अलग बात है। मेरी चिंता इससे इतर है। दिसंबर में छत्तीसगढ़ में आपकी सरकार काबिज हुई और करीब पांच महिने का वक्त बीत चुका है। आपने ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का नारा दिया है। यह सही भी है कि करीब डेढ़ दशक तक एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद आपका विज़न एक नए छत्तीसगढ़ के लिए है।
इस नए छत्तीसगढ़ में कौन शामिल होगा और कौन नहीं? यह बड़ा सवाल है। इससे पहले इस सवाल पर पहुंचें मैं आपको बताना चाहूंगा मेरी आपसे पहली मुलाकात तब हुई थी जब आप बस्तर के नेता महेंद्र कर्मा के साथ भैरमगढ़ इलाके के बर्रेपारा में ब्लास्ट में जवानों की शहादत के बाद फोर्स की ज्यादतियों की शिकायत पर राजनीति करने पहुंचे थे।
यह 2004—05 की बात है। वहां ग्रामीण आदिवासी महिलाओं के साथ पत्थर पर बैठकर उनसे बात करते और वस्तुस्थिति को जानने की कोशिश की थी। मैं आपके करीब ही खड़ा था तब एक दैनिक समाचार पत्र के लिए बतौर संवाददाता आपको कव्हर कर रहा था। मुझे आपका सहज तरीके से बैठकर ग्रामीणों के साथ बात करना अच्छा लगा था। फिर बात आई गई हो गई।
कुल मिलाकर आपकी जमीनी मेहनत और परिश्रम का नतीजा है आप अब सत्ता के शीर्ष पर हैं। पर सत्ता में पहुंचने के बाद बहुत से लोगों का रंग और ढंग बदल जाता है। आपका भी बदला होगा, नहीं बदला है तो निश्चित तौर पर बदल जाएगा! क्योंकि ‘सत्ता’ अपने विरूद्ध संवाद करना पसंद नहीं करती है। ‘सत्ता’ को यह गुमान होता है कि वह हमेशा निष्पक्ष और सही होता है। पर ऐसा होता नहीं है। यह मैनें हमेशा देखा है।
भूपेश बाबू, आप यह मान रहे हैं कि विधानसभा चुनाव की तरह छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कांग्रेस को जबरदस्त समर्थन मिलेगा तो आप वही गलती कर रहे हैं जो डा. रमन ने किया। वे जमीनी हकीकत को भांपने में असमर्थ रहे। आपके सामर्थ्य पर भरोसा है इसलिए सचेत करने की कोशिश की है। फिलहाल प्रशासन आपकी आंख और कान नहीं बना है। आपके पास आपके लोगों का समूह है जो कम से कम सही—गलत बताने की स्थिति​ में है।
आपको शायद पता ना हो तो मैं बताता हूं कि छत्तीसगढ़ में आपकी सरकार आने के बाद नगद व्यवहार खत्म हो गया है। लोगों के पास नगदी का संकट है। रोजगार के आंकड़े आपको चिढ़ा सकते हैं। सीमेंट बाजार से गायब हो गया है। उसकी कीमत को लेकर जबरदस्त दबाव है। कंपनियां छत्तीसगढ़ में सीमेंट बना रही हैं और यहां आपूर्ति एक चौथाई कर चुकी हैं। यदि नहीं मालूम तो जरूर पता कीजिए। लोहे का हाल भी बेहाल है। बाजार में सन्नाटा पसर गया है। बिजली आपकी जानकारी के बिना गुल हो रही है। निर्माण एजेंसियों का पैसा अटकने से बहुत से लोग बर्बाद हो चुके हैं।
अगर आपको यह बात नहीं पता, तो यह आपको जानना चाहिए। आप सू​बे के मुख्यमंत्री हैं कोई थानेदार नहीं जो केवल विपक्ष के अपराध पर अट्हास करता हुआ बदले की भावना से पूरी ताकत झोंककर कीचड़ खेल रहा है।
आपकी जिन ​नीतियों का खामियाजा बाजार भुगत रहा है उसके पीछे सबसे बड़ा कारण बिना बजट प्रावधान बैंकों के कर्ज माफी की योजना है। इसके लिए आपने थोड़ी जल्दबाजी की है। आप सोच रहे होंगे कि सरकार ने कर्जा माफ किया है तो इसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा तो आप गलत हैं। हां, यह लाभ कारी होता अगर आप ‘जो कहा सो किया…’ को सार्थक करना दिखाने के लिए जुगत नहीं लगाते।
आपने बैंकों के कर्ज माफी की योजना पर सारा धन लगा दिया। इसके लिए चालू वित्तीय वर्ष के निर्माण का सारा पैसा झोंक दिया। परिणाम यह हुआ कि बैंकों तक केवल कागज का खेल हुआ। आपने कागज भेजकर बैंकों को कह दिया कि कर्ज माफी का पत्र जारी कर दें। किसानों को बहुतेरे ऐसे लोगों को लाखों रूपए की कर्ज माफी का पत्र मिला जिन्हें ना भी मिलता तो कोई बात ना होती। पर वास्तविकता में किसी के पास नगद नहीं पहुंचा। केवल कागज के भरोसे बाजार नहीं चलता है भूपेश बाबू…।
सरकार से लोगों को न्याय, सुविधा, सहायता और संस्कार सबकी अपेक्षा होती है। पर केवल दिखावा के चक्कर में यह सरकार ना फंसे इसलिए यह चेतावनी के स्वर हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में आप अपने वादों को पूरा करने के ​कारण विधानसभा के परिणाम को रिपीट करने वाले हैं तो यह मेरी भविष्यवाणी है कि ऐसा नहीं होने वाला…। यह होता, पर आपने मौका खो दिया है…। आपको यह सोचना होगा कहीं आप किसी दूसरे ‘अंडर करंट’ के शिकार तो नहीं हो गए भूपेश बाबू…।
आपको यह देखना होगा कि पूरे राज्य में मंत्रियों के दलाल घूम रहे हैं। पद की बोलियां लग रही हैं। सभी कीमत वसूलने की ताक पर हैं। ये दलाल वास्तविक हैं या फर्जी इसका भी ध्यान रखना आपकी जिम्मेदारी है। जनता ने सत्ता विकास और समन्वित दृष्टिकोण के लिए सौंपी है। जो गलतियां पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने की है कम से कम उसे रिपीट ना होने दें…। विश्वास जरूरी है पर घमंड सत्ता को नष्ट कर देगा। यह समझना होगा।
मुझे चापलूसी नहीं आती है इसलिए कई ऐसे मौके आए जब मुझे पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के साक्षात्कार का न्यौता मिला तो भी नहीं गया। क्योंकि मुझे सच के साथ खड़े रहने में आनंद आता है। भले वह विपक्ष में हो। वास्तव में मैं बहुत छोटा आदमी हूं। भले ही मैं अपने नाम के आगे यह नहीं लिखता। लिखना—पढ़ना पसंद है। अखबार निकालता हूं आप चाहें तो पुराने सरकार के आंकड़े चैक कर लें कि इस अखबार को कितना पैसा दिया गया है। सारे लोग आपके हैं, आप तत्काल जान सकते हैं। बावजूद इसके मैंने अब तक आपकी सरकार को एक पाती भी नहीं लिखा है कि पुराने भुगतान कर दिए जाएं। सरकार की वित्तीय हालत साफ दिख रही है। आपको संभालना होगा। पूरे छत्तीसगढ़ ने आप पर यह विश्वास जताया है।
डीएमएफ के नाम पर पूर्ववर्ती सरकार के अफसरों ने जो कारगुजारियां की हैं उसकी तो सीमा ही नहीं है। पर आपकी सरकार ने बिना जाने समझे कई ऐसी परियोजनाओं का पैसा रोक दिया है जिनका सरोकार वास्तव में आम जनो से है। आपके प्रशासन को चाहिए था कि वे स्थिति का सही आंकलन कर रिपोर्ट करते तब फैसला लेकर गैरवाजिब काम रोके जाते तो शायद हालत में काफी सुधार होता।
विकास के जो भी पैसे रोके गए हैं उसे तत्काल प्रभाव से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाएं नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। यह सब आपको ही करना होगा। क्योंकि जैसी सत्ता होती है प्रशासन भी वैसा ही होता है। आप प्रशासन से जो सुनना चाहेंगे वही आपको सुनाया जाएगा। बस्तर में इंद्रावती का पानी सूख गया है। इसे किस सरकार ने सूखाया है यह चर्चा ना करते इंद्रावती के निरंतर बहने के लिए सार्थक प्रयास की उम्मीद समूचे बस्तर को है। संभव है आप इस संवाद को अन्यथा नहीं लेंगे… सादर…

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